सेवानिवृत्ति कि आयु
माननीय सुप्रीम
कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जजों कि सेवा निवृति कि आयु को बढ़ने के लिए माननीय
प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा उसके बाद इस विषय पर चर्चा आम हो गई मीडिया के
अतिसक्रीयता और फेसबुक wapp twitter आदि जैसे प्लेटफोर्म ने इस प्रकार के विषय में
आम जनता का मत भी आने लगा है इसके पहले इस प्रकार के विषय पर कुछ वुद्धिजीवियों का
एकाधिकार था खैर हम चर्चा कर रहे थे कि सेवा निवृत्ति कि आयु का निर्धारण कैसे
होता है? कैसे होना चाहिए?
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पूरी दुनिया में
सेवा निवृत्ति कि आयु सीमा 55 से 65 बर्ष के बीच ही है कहीं कहीं जैसे कम्वोदिया
में यह 50 बर्ष और UK जैसे देश में यह 65 भी है, परन्तु अधिकतर देशों में
यह 60 बर्ष ही है. इसके निर्धारण के
लिए आर्थिक सर्वे, सामाजिक स्थिति, स्वास्थ्य और कर्मचारी के दायित्व के आधार पर
इसका निर्धारण किया जाता है. इसका जिक्र हमारे धार्मिक ग्रंथों में भी आश्रम
व्यवस्था के रूप में समझाया गया है, जिसमें बाल्य अवस्था,
ब्रह्मचर्य,गृहस्थ,वानप्रस्थ और संन्यास के रूप में समझाया गया है. यहाँ हम
सिर्फ 2 आश्रम के बारे में चर्चा करेंगे,यदि समय अनुसार सभी आश्रम का पालन हो तो
55 से 60 बर्ष कि अवस्था वानप्रस्थ में जाने कि आती है, उस उम्र तक एक गृहस्थ अपने
पारिवारिक दायित्व जैसे सारे बच्चों को अपने अपने व्यवसाय के साथ साथ गृहस्थ धर्म
में भी व्यवस्थित कर चुकता होता है और वह
अपने सांसारिक कामों में सलाहकार हो जाता है याने वह सेवाओं से निवृत हो जाता है,
वानप्रस्थ का शाब्दिक अर्थ वन गमन से है परन्तु यथार्थ में वह रिटायर्मेंट ही होता
था.मेडिकल साइंस के अनुसार भी यदि मूल्यांकन करें तो मानव जीवन में हार्मोन्स
का बहुत बड़ा योगदान है जो उसकी शारीरिक और
मानसिक स्थिति के लिए जिम्मेदार बताया गया है, आम तौर पर 50 बर्ष के बाद मानव शरीर में उत्पादकता और विकास
के कार्य बंद हो जाते हैं और उसके बाद शारीरक स्थिति के अनुसार कार्यों को कम या
बंद करने की सलाह डॉक्टर देते हैं.
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अब आधुनिक युग में
देखें तो इसके निर्धारण में मुख्य रूप से सामाजिक स्टेटस या पारिवारिक स्टेटस के
साथ साथ उसका स्वास्थ्य जिसमें शारीरिक मानसिक दोनों स्तर को लेकर निर्धारित किया
गया कि औसत रूप से 60 साल के बाद व्यक्ति कि अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियाँ लगभग
पूरी हो जाती हैं और वह शारीरिक रूप से भी शिथिल होने लगता है, इसलिए सारे
निष्कर्षों के बाद 58-60 की आयु को सेवा निवृत्ति की आदर्श स्थिति मान कर
सेवानिवृत्ति की आयु का निर्धारण किया गया.
भारत जैसे युवा देश
में जब हम बात करते है तो यहाँ पर हमें शिक्षा और बेरोजगारी को भी अवयव मानना होगा
स्वतंत्रता के बाद से हमने शिक्षा के क्षेत्र में काफी उन्नति की है और कार्य स्थल
पर मानव कार्य को मशीन, कंप्यूटर में बदल दिया है और जो स्टाफ 1990 के दशक के पहले
के भर्ती है वे औसतन आधुनिक तकनीक और
ज्ञान से शिक्षित नहीं हैं इसलिए उनका प्रतिस्थापन्न करना उचित ही होगा. हमारे पास
10-15 बर्ष हैं, जब हम अपने युवा का उपयोग करके देश की आर्थिक सामजिक स्थिति को
सुदृण कर लें जिससे जब हमारे पास युवा कि कमी होगी तब तक हम लगभग सभी क्षेत्र में
आत्म निर्भर हो जाएँ .
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अस्तु, समय की मांग
है कि सेवा निवृति की आयु को कम करने के साथ साथ जॉब के अनुसार शिक्षित नवयुवा को
लाना चाहिए. मै तो सोचता हूँ कि प्रशानिक सेवा में भी पद और योग्यता के
अनुसार नियमों में परिवर्तन करने की भी आवश्यकता हो रही है.
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